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भारत देखो अब रो रही है

भारत अपने बेटों को ममता की दुहाई दे रही है
मेरे वीरों अब जग जाओ , इंसानियत यहाँ पे खो रही है
नहीं बचा यहाँ कोई सुभाष , बचा न कोई गाँधी है
कौन संभालेगा मेरा आँचल
हर मोड़ पे धूलों से भरी यहाँ आंधी है
हर तरफ शकुनि घूम रहे है
धृत-राष्ट्र  ने आँखों पे पट्टी लगाई है
कृष्णा भी नहीं है अब बोलने वाले
इज्ज़त दांव पे अब बन आई है
भगवान् का भी नहीं है डर  उसको
उसने बच्ची की निर बहाई है
हे शिवाजी तुम उठा लो हथियार
या गाँधी तुम ही आ जाओ  
कुछ भी हो तरीका चाहे ,
मेरी लाज बचा जाओ
भारत देखो अब रो रही है
कहा गए सब यहाँ के वीर ????

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