Pages

घर के सामान

सुरज के सो जाने के बाद , जब घर वापस जाता हु
तो होता है अहसास कुछ बिखरे , कुछ खोए सामानो का
वो सामान जिसे बडे  प्यार से सजाया था मैने
कुछ छोटे बडे गुल्दस्ते , जीसमे से हमेशा खूशबू आती थी
कुछ इस तरह बिखरे पडे  है सामान
कि अब कांटे अलग और फूल अलग है गुल्दस्ते से
वो खत जिसे कई कई  बार पढ़ा है मैने , लिफाफे से गायब है
डायरी के बीच मे परा ये खाली लिफाफा , बहुत याद दिलाता है उस खत की
वो आवाज भी अब कभी महसुस नही होती
जो हमेशा खिलखिलाती रहती थी, मेरे घर के अन्दर ख्यालो मे
ना जाने कहाँ खो गई है वो आवाज
एक छोटा सा बैग था मेरे पास
जिसमे सहेज कर  रखे थे मैने सारे किमती सामान
बस कुछ निशानियाँ ही बच गए है उसमे
एक भी समान किमती नही दिखता
कुछ तारिखे हूवा करती थी, बहुत खास तारीखे
दीवार मे लगे कैलेन्डर से वो भी गायब रहते है अब
हा, कभी कभी दिख जाते है,लेकिन बहुत खोजने पर
सूरज के सो जाने पर , जब घर वापस जाता हू
खोजना चाहता हु , सारे खोए सामान
सजाना चाहता हु घर अपना
पर अन्धेरे मे करु भी तो कैसे
शायद घर बिख्ररा ही रहेगा अब
शायद कोइ समान नही मिलने वाला है मुझको
जो खो गया है शायद वो मेरा था ही नही.……