कभी कभी ऑफीस के काम से बोर होकर जब अपने प्यारे से लैपटौप के कीबोर्ड को देखता हू
तो ख्याल आ जाता है अपनी जिंदगी के बारे में , कीबोर्ड के अल्फाबेट्स की तरह बिखरे
परे सपने याद आ जाते है। जो यहाँ वहाँ परे हुए है , और मैं बेबश इतना की इनको सजा
भी नहीं सकता, सजाने पर बहुत कूछ टूट जाने का डर है।
कुछ Keys तो ऐसे भी है जिन्होंने बहुत दुरीयां बना डाली है मेरे बनाये हुए
हर डाक्यूमेंट्स में जिसे बनाया था मैंने सपने देखते हुए.। ये जो एंटर , टैब ,और
स्पेस बार है ना , बहूत बार दबाया है शायद इनपे मेरी अँगुलियों के नीशान साफ़ दीखाई
देते है. एक एस्केप बोल के छोटा सा Key, दीखता है कोने में , बिलकुल नया सा दीखता
है, शायद मैंने उसे यूज ही नहीं कीया है कभी।
कूछ तो ऐसे भी Key है जो बील्कुल काम नहीं करते ये जो F1 है, जीसे दबाने से
छोटा सा विन्डो खुलता था , जो मदद करता था हर प्रोग्राम्स को समझने में , काम नहीं
कर रहा , कितना भी दबाऊ कूछ हलचल नहीं दीखता मेरे स्क्रीन पर और F5 भी काम करना बंद
कर दीया है.
शायद इसे भेजना होगा वापस डेल के ऑफीश , जहा इसे बनाया गया था.… शायद कूछ
पुर्जे खराब हो गये है इसके या पता नहीं क्या हुआ होगा........