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नाकाम वफ़ा

आज फिर डूबेगी कलम मेरे काले खून में और निकलेंगे कुछ अल्फ़ाज़ जो धीरे धीरे मारते जा रहे है मुझे, ठीक वैसे ही जैसे काटता है लकरहारा किसी पेड़ को. काले खून से लिखी जाएँगी मेरे नाकाम वफ़ा की चंद बातें…जिसने रुलाया है तुमको दिन रात…जिसने बना डाला है तुमको मज़ाक का सामान सबके लिए. सुना है हर कर्मो की सजा देता है खुदा , खुद का दीदार कराने से पहले, मेरी क्या सजा होगी ये तो नहीं जानता पर सजा तो मिलनी ही है.
खवाहिश थी की हसते हसते विदा करूँगा सबको, पर अब ये मुमकीन नहीं है.......... तेरी सजा काटना भी बाकी रह गया मेरी जान............. बस एक और आख़िरी एहशान कर देना अपने आशीक पे , जब सब रो रहे हो मेरे सीने पे सर रख के, एक आखिरी बार आना मिलने और लगा लेना गले से अपने , की  रूह को थोड़ा शुकून मिल जाये शायद और मिल जाये हिम्मत खुदा के कहर से लरने के लिए . 

खंजर

लरकी देखती है अपने आशीक  को सोते हुए , बहुत प्यार करने  का जी करता है उसे और तभी उठाती है खंज़र और भोंक देती है अपने आशीक के सीने में , उसे मंज़ूर नहीं है उस दील का धरकना जीसने उसे धोखा दीया............लरका खोलता है अपनी आँखों को,लहूॅ सी लाल आँखे.........होंठो पे  मीठी पर दर्द भरी हंसी लीये विदा करता है अपने महबूब को और मूँदता है पलकों को आखिरी बार।  शुकुन  से भरा हुवा और शांत परा चेहरा जैसे बोलना चाह रहा हो शुक्रिया मेरी जान , इतनी देर क्यों कर दी 
लरकी खामोश बैठे देखती है कूछ पल को और फीर चूप - चाप चली जाती है कही, अपने आशीक के माथे पे प्यार की एक निशानी छोरकर...........और उसे सुनाई देता है कुछ अनकहा सा..........जैसे कोई बोल रहा हो 
"लव यू टू , ख्याल रखना !!!!!!!!!!"