बना रहा था एक घर मैं ताश के पत्त्तों का, बहुत बार टूटा और फिर से जोड़ी मैंने साड़ी दीवारें की हार मानना मेरी शक्शियत में शामिल नहीं था। बार नार हवा के झोंको से गिरता रहा मेरा घरौंदा और मैं इस भरम में की एक रोज घर बन जायेगा जोरता रहा दीवारें। हर शख्स ने देखा मुझे घर बनाते और हसते रहे मेरी गरीबी पे, तमाशा बना मेरे जज़्बातों का और बदनाम हुए मेरे सपने। हार्ट कलर के क्वीन को कभी यूज़ नहीं किया मैंने दीवारों में, बचा के रखा था उसे की सजाऊंगा उसे अंदर वाले कमरे में। तैयार होने की हो था घर मेरा की वक़्त ने दिखाया अपना खेल फिर से, बन के आया तो वो चक्रवाती तूफ़ान, जो ले के उर गया सरे पत्त्त्तो को................
टेबल पे देखा तो एक ही पत्त्ता उल्टा परा हुवा दिखा.... पलट के देखा उस आख़िरी पत्त्ते को.... ताश के पत्त्तों का सबसे अनोखा पत्त्ता था वो… जोकर !!!!!!
बहुत देर तक देखता रहा उस आखिरी पत्त्ते को.…और नजर पारी सामने के आईने पे, ढूंढ रहा था उस आखिरी पत्त्ते को आईने में और नजर आया एक मायूस और हारा हुआ सा चेहरा................... कमरे में बस दो ही बच गए थे उस तूफ़ान के बाद.…… ताश के पत्त्ते का जोकर और मैं!!!!!!!!!!!!!!!
टेबल पे देखा तो एक ही पत्त्ता उल्टा परा हुवा दिखा.... पलट के देखा उस आख़िरी पत्त्ते को.... ताश के पत्त्तों का सबसे अनोखा पत्त्ता था वो… जोकर !!!!!!
बहुत देर तक देखता रहा उस आखिरी पत्त्ते को.…और नजर पारी सामने के आईने पे, ढूंढ रहा था उस आखिरी पत्त्ते को आईने में और नजर आया एक मायूस और हारा हुआ सा चेहरा................... कमरे में बस दो ही बच गए थे उस तूफ़ान के बाद.…… ताश के पत्त्ते का जोकर और मैं!!!!!!!!!!!!!!!