Pages

ख्याल रखना !!!!

बहुत लम्बा चला था उनदोनो का call आज. लडकी के पास बोलने के लिए बहुत कुछ था , बिखेर के रख दिए उसने अपने सारे जज़्बात …और लड़का चूप चाप सुनता रहा , यूँ तो कहने के लीये बहूत कूछ था लड़के के पास भी , लेकिन क्या कहता.....लड़की कूछ गलत भी तो नहीं कह रही थी. लड़का जानता था की वो बहूत उदाश है , रो  रही है........ पर वो चुप रहा, कुछ नहीं कह पाया ,,,,,या शायद चाहता था की लड़की उसकी ख़ामोशी सुन ले बिना कुछ कहे. जाने कीस उलझन में परा था.
वो चाहता था की बता दे उसे की वो कितना चाहता है उसे, की उसके बीना उसे खुद का अस्तित्व नहीं दीखता , की उसके सीवा कोई और उसे अच्छा नहीं लगता , की सुबह में उसी के ख्याल में उठता है ये जानने के लिए की क्या उसकी नींद पूरी हुईं और रात ढलती है इसी ख्याल में की क्या वो सो रही होगी, बोलना चाहता था उसे की तुम्हारे लिए तो मैंने खुशिया ही खुशियां मांगी थी मेरी जान,और तुम्हारे आँखों में मेरे ही नाम के आँशु बह रहे है, और उन आंशुओ के साथ साथ.......वो भी गिरता जा रहा है, किसी सागर के पेट में....जैसे डूब के रह जाना है वही पे. 
जाने ऐसे ही कितने ही अनगिनत ख्याल और अनकहे सवालो के तूफ़ान में भूल गया की Call के अंत में वो क्या बोला था .…कूछ ठीक से याद नहीं की कब बोला था,फ़ोन रखने के पहले या बाद में..... पर इतना याद है कहा था की खूश रहना......ख्याल रखना



ठीक उसी वक़्त कही गुलजार की ये नज़्म बज रही थी :
Ek Sannata bhara hua tha ek gubbare se kamre me,
Tere phone ke ghanti ke bajne se pahle
Baasi sa mahaul ye sara, thodi der ko dharka tha
Saans hili thi,nabz chali thi
Mayusi ki jhilli aankho se utri kuch lamho ko
Fir teri aawaj ko aakhiri baar khuda hafiz karte jate dekha tha
Ek Sannata sa bhara hua hai,zism k is gubbare me..tere phone ki aakhiri phone k baad

Keyboard ke Alphabets aur Zindgi

कभी कभी ऑफीस के काम से बोर होकर जब अपने प्यारे से लैपटौप के कीबोर्ड को देखता हू तो ख्याल आ जाता है अपनी जिंदगी के बारे में ,  कीबोर्ड के अल्फाबेट्स की तरह बिखरे परे सपने याद आ जाते है। जो यहाँ वहाँ  परे हुए है , और मैं बेबश इतना की इनको सजा भी नहीं सकता, सजाने पर बहुत कूछ टूट जाने का डर है।

कुछ Keys तो ऐसे भी है जिन्होंने बहुत दुरीयां बना डाली है मेरे बनाये हुए  हर डाक्यूमेंट्स में जिसे बनाया था मैंने सपने देखते हुए.। ये जो एंटर , टैब ,और स्पेस बार है ना , बहूत बार दबाया है शायद इनपे मेरी अँगुलियों के नीशान साफ़ दीखाई देते है. एक एस्केप बोल के छोटा सा Key, दीखता है कोने में , बिलकुल नया सा दीखता है, शायद मैंने उसे यूज ही नहीं कीया है कभी।
कूछ तो ऐसे भी Key है जो बील्कुल काम नहीं करते ये जो F1 है, जीसे दबाने से छोटा सा विन्डो खुलता था , जो मदद करता था हर प्रोग्राम्स को समझने में , काम नहीं कर रहा , कितना भी दबाऊ कूछ हलचल नहीं दीखता मेरे स्क्रीन पर और F5 भी काम करना बंद कर दीया है. 

शायद इसे भेजना होगा वापस डेल के ऑफीश , जहा इसे बनाया गया था.… शायद कूछ पुर्जे खराब हो गये है इसके या पता नहीं क्या हुआ होगा........

इंतज़ार और सही....

कल रात चाँद बहूत उदास था शायद
बादलो से कूछ पानी की बुँदे टपक रही थी 
खीरकी से जो हवा का झोंका अंदर आया 
उसमे कूछ जलने की बू आ रही थी 
कीसी का दील जला होगा कही 
या कीसी ने कोई सिगरेट जलाई होगी 


तुम्हे पता तो है ना की हर पल रहता है इंतज़ार तुम्हारा 
तुम्हारे ना होने पर भी,  सुनाई देती है तुम्हारी खामोशियाँ 
घरी की टीक - टीक  की तरह 
सिगरेट के धुएं में भी तुम नजर आ जाती हो 
जानता हूँ नहीं है पसंद तुमको, मेरा इंतज़ार करना 
रहना चाहती हो मुझसे दूर 
डर भी लगता होगा , तुम्हे मेरी बातों से 
पर फीर भी.… तुमको पता तो है ना.... 
की हर पल रहता है इंतज़ार तुम्हारा 


सोचता हूँ की लीखूं एक आखिरी खत 
किसी अनजाने से शख्स को 
जो जानता नहीं हो मुझे 
और बिखेर के रख दूं , सारे ख्यालात 
जो दर्द देते रहते है मुझे 
जिनसे जितना दूर जाऊ , उतना ही पास आते रहते है 
और उस खत को बहा दू सागर में 
किसी बोतल में बंद करके !!!!!!!