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ख्वाब - जहां दर्द बिकते है !!!!!

चन्दन की खूसबू किसे नहीं पसंद , उसी खुशबू की तलाश में वो नीकल परा है उस घने जंगल में जहां सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा है , जहां के सन्नाटे शोर करते है झींगुरों के आवाज के साथ..... कभी कभी जब झींगुरों की आवाज रुक जाती है तब ऐसा लगता है जैसे जंगल सो गया है। कभी कभी उस जंगल में समुन्द्र के चीखने की भी आवाज आती है, जैसे रात के अँधेरे में पागल हुवा समुन्द्र सारे शहर वालो को बददुआए दे रहा है। ऐसे ही घने जंगल में तलाश ख़त्म होती है उसकी और उसे दीखता है चन्दन का पेड़ , वो चाहता है की उसका एक फूल तोर ले और जाकर डाल दे अपने महबूब के आँचल में , और तभी महसूस होता है उसे अपने बदन पे एक दर्द भरा कसाव , उस चन्दन के पेड़ के रखवाले सांप दबोच लेते है , वे नहीं चाहते है किसी के साथ भी उन फूलों का बटवारा।  सारे सांप अपना अपना ज़हर डाल देते है उस अभागे के शरीर में और दर्द से तरपता हुवा उसे छोर जाते है। उन ज़हरीले सांपो का ज़हर काम नहीं करता और एक का ज़हर दूसरे के ज़हर को  काटता जाता है। उन सांपो के छोटे दाँतों के छेद से रक्त का रिसाव होने लगता है और वो दर्द के आगोश में धीरे धीरे रक्तहीन होता जा रहा है, पलके बंद होने लगती है और वो खुद को मौत के बेहद करीब पाता है।  कहते है की अंत समय में सब कुछ फ़्लैश बैक में दिखाई देने लगता है , उसे भी दीखता है उसका बचपन ........ उसके घर के पास वाला बूढा बरगद का पेड़......पहली बार साइकिल चलाना........ स्कूल जाना....... स्कूल में उसे एक लडकी दिखाई देती है बहुत ही प्यारी , मगर वो हाथ छोडकर जा रही है...........जैसे जैसे समय बढ़ता जा रहा है उसकी पलके बंद होती जा रही है , फ़्लैश बैक में बहुत कुछ स्किप हो रहा है वो खुद को किसी बड़े शहर में देखता है वह उसकी महबूब उसे दिखती है, दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत लडकी........शायद उसने ब्लू कलर का ड्रेस पहना है....... शरीर का सारा रक्त लगभग ख़त्म हो गया है उसे प्यास लग रही है वो चाहता है की समुन्द्र दौर के उसके पास आ जाये और वो उसके नमकीन पानी से अपनी प्यास बुझा ले..........पलके बंद हो रही है वो देखता है की वो अपने महबूब का हाथ छोडकर जा रहा है पलट के देखता है तो उसे दिखाई देती है दर्द भरी दो आँखे जो शायद कह रही है की जाओ तुम्हे मौत कभी न मिले,....तुम इसी दर्द में रहोगे। और फिर सबकुछ शांत हो जाता है , उसे महसूस होता है अपने गालो पे गिला पानी , नींद से जाग उठता है वो उसका पूरा बदन पसीने से भरा हुआ है पर उसमे से उसे खून की बदबू आती है।  वो जलाता है उस आधी जली और आधी बुझी हुए सिगरेट को और लेता है एक बहुत ही लम्बी कश जैसे की वो आखिरी बार लगा रहा हो उसे अपने होंठो से।  सिगरेट के धुएं में उसे अपने महबूब की तस्वीर दिखाई देती है वही दर्द भरी आँखे जैसे बोल रही हो जाओ तुम्हे मौत भी नसीब नहीं होगी ऐसे ही तरपोगे तुम, तुम्हारी यही सजा है।  धीरे धीरे धुवाँ हवा में मिलने लगता है और उसकी महबूब जाने लगती है , ऐसे में बस इतना ही बोल पता है वो............... Love you too....Khyal Rakhna!!!

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