आज बहुत दिनों बाद हिंदी लिखने बैठा था पता चला की मैं हिंदी लिखना भूल गया हूँ , ठीक वैसे ही जैसे जीना भूल गया हूँ। सोच रहा हूँ की कोई काले कागज वाला नोटबुक खरीदू और कब्रिस्तान की सफ़ेद हड्डी से लिखुँ उसपे कवितायेँ जो अक्सर मैं लिखता रहता हूँ अपने ख्वाबों में, जब नींद से चल रही होती ही लड़ाइयां काली अँधेरी मगर शोर करती हुए रातों से। लिखुँ उसपे वो सारी नज़्में जो अक्सर जेहन में आती है मेरी, जब जब सिगरेट के धुएं में तुम्हारी शूरत नजर आती है। उस काले कागज के ऊपर मैं लिखना चाहता हूँ इबादतें शैतान के लिए और लिखना चाहता हूँ ढेर सारी बददुवाये ऊपर वाले के लिए जिसने ये सारी दुनीया बनाई है। मैं उस काले कागज के ऊपर अपनी नाकाम्यबिनाँ लिखना चाहता हूँ, तुम्हारी हँसी लिखना चाहता हूँ , अपने आंशू लिखना चाहता हूँ, और सबसे अंत में चाहता हूँ की लिखू......................ख्याल रखना..............Love you too
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