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कुछ तुम्हारे लिए !!!!!

ज़िंदगी जब खेलने लगती है जिस्म के इस खिलौने से , जब हर एक सांस लेना भारी परने लगता है इंसान को ऐसे में दर्द का मारा कवी मैखाने नहीं जाये तोऔर  कहा जाये।  थके हुए दिमाग और सरे हुए जिस्म का बोझ उठाना कितना भारी होता है कोई उस कवि से पूछे जिसने दर्द के कहर से अपनी सबसे प्यारी चीज, अपनी कलम को फेंक दिया है काफी पहले। फिर भी लिखना चाहता है अपनी दास्ताँ और बनाता है किसी कब्रिस्तान की हड्डी को अपना कलम और काट लेता है अपनी नब्ज़ों को, लिखने बैठता है अपनी दास्तान। लाखों शिकायते लिखी जाती है अपने खुदा के लिए, गलियां लिखी जाती है दुनिया के रस्मों रिवाजो के नाम........लिखी जाती है हर उस जुर्म की दास्तान जो उसने किया है अपने महबूब के ऊपर जाने-अनजाने में। एक - दो नब्ज़ उभरते है उसके महबूब के नाम जहा लगाई जाती है गुहार अपने माफ़ी की.…खून जब काम परने लगता है जिस्म की और पलके बंद होने लगती है तो लिखता है आखिरी लाइन अपने खूबसूरत साथी के नाम और बंद कर लेता है अपने नजरें......
Love you too
Khyal Rakhna!!!!!

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